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एक तरफ पारा अपने न्यूनतम स्तर पर पहुँच रहा है तो दूसरी तरफ सुविधाओं का उपभोग कर रहे देवरिया के बीएसए साहब गर्मी से व्याकुल हैं। इसी का नतीजा है भीषण ठंड में प्राइमरी विद्यालय को 3 जनवरी से खोलने का आदेश। जी हाँ जब पूरे प्रदेश में विशेष रूप से गोरखपुर मंडल में ठण्ड के मद्देनज़र विद्यालय बंद रखने का आदेश है,देवरिया के विद्यालय खुल गए हैं। आवश्यक संसाधनों से जूझ रहे सरकारी विद्यालयों को बीएसए साहब निजी विद्यालयों की तरह सुविधा संपन्न समझते हैं और उसमें पढ़ने वाले बच्चों को जाड़े से लड़ने में सक्षम,चाहे मेवा के नाम पर उनकी मूंगफली से भेंट न होती हो और सुबह-सवेरे पेट भरने के लिए घर में बासी रोटी न हो। अच्छा स्वेटर तो छोड़िये तन ढकने के लिए उनके पास ढंग का कपड़ा तक नहीं होता। एक अदद सरकारी ड्रेस उनके तन पर होता है,जिसके काज-बटन के फटे – टूटे होने की गारंटी होती है। पैर में जूता तो छोड़िये,सही से चप्पल भी नहीं होता। सरकार के मुफ़्त स्वेटर का भीषण ठण्ड में दूर-दूर तक पता नहीं है। प्रायः कक्षाओं में बैठने के लिए बेंच तो बड़ी चीज़ है टाट भी पर्याप्त नहीं होता। कमरों में दरवाज़ों और खिड़कियों का भी अभाव बना रहता है। ऐसे में जबकि हाड़ कँपाता जाड़ा पड़ रहा है, विद्यालय आया हुआ बच्चा पड़ेगा या काँपेगा ! इस सब के बाद भी यदि बीएसए साहब ने स्कूल खोलने का आदेश दिया है तो उन्हें आदेश में यह भी जोड़ना चाहिए था की यदि किसी बच्चे को कुछ होगा तो इसका जिम्मेदार कौन होगा? |
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