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जश्न- ए – जम्हूरियत मनाएंगे,
आज खुशियों के गीत गाएंगे.
सबसे ऊँचा हमारा परचम हो,
दूर हमसे ज़माने का ग़म हो,
आज भटके न रास्ता कोई,
राह में दीप वो जलाएंगे,
जश्न- ए – जम्हूरियत मनाएंगे.
रूप इसका चलो निखारें हम,
मिलकर अपना चमन संवारें हम,
चुनके नफरत के खार राहों से,
गुल मोहब्बत के हम खिलाएंगे,
जश्न- ए – जम्हूरियत मनाएंगे.
स्याह हरगिज़ किसी का दिन न हो,
राह जम्हूरियत कठिन न हो,
सबको इंसाफ और रोटी मिले,
ऐसा कानून हम बनाएंगे,
जश्न- ए – जम्हूरियत मनाएंगे.
शहर की,गांव की,जवार की हो,
बात जब भी हो,बात प्यार की हो,
दिल हमारे मिले रहें हरदम,
ऐसी तहरीक हम चलाएंगे,
जश्न- ए – जम्हूरियत मनाएंगे.
हक़ हो हासिल सभी को इज्जत का,
फल मिले सबको अपनी मेहनत का,
आम इंसान जी सकें जिसमें,
हम फ़ज़ा ऐसी कुछ बनाएंगे,
जश्न- ए – जम्हूरियत मनाएंगे.
आज खुशियों के गीत गाएंगे,
जश्न- ए – जम्हूरियत मनाएंगे,
आज खुशियों के गीत गाएंगे.
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