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तुम्हें भूले तो

mera desh
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surajmukhi

हवा की ताल पर ठुमका दिखाएंगे,
जो सींचेंगे तो पौधे मुस्कराएंगे ।
बड़े होकर तो बच्चे छोड़ जाते हैं ,
मगर आँगन के पौधे काम आयेंगे ।
सुमन हैं हम मिटे भी तो नहीं ग़म है,
हवा में बन के खुशबू फ़ैल जायेंगे।
खुदा का क्या वहीं मिल जायेगा हमको,
अक़ीदत से जहाँ पर सर झुकायेंगे ।
सदा जिन्दा‚ सदा बाकी वो रहते हैं ‚
जो दुनिया के लिए कुछ करके जाएंगे।
जिन्हें बंटना है बंट जाएं वो खानों में‚
मगर हम एकता के गीत गाएंगे।
यह दुनिया एक दिन सुन्दर बनेगी‚
अगर किरदार हम अपना निभाएंगे।
मेरे बस में नहीं तुमको भुलाना है ,
तुम्हें भूले तो खुद को भूल जायेंगे।

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