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तेरा गम है.

mera desh
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    tera gham

    दिल है ज़ख़्मी तो आँख पुरनम है,

    तू नहीं है मगर तेरा गम है.

    अब कहीं भी सुकूँ नहीं मिलता,

    आज दिल का अजीब मौसम है.

    ठीक है उफ़ न हम करेंगे मगर,

    कैसे कह दें के दर्दे-दिल कम है.

    ज़ख्मे-उल्फत जो भर सके यारों,

    इस जहाँ में क्या ऐसा मरहम है.

    प्यार है जुर्म इसका इल्म न था,

    ये खता है तो फिर सजा कम है.

    यूँ तो मौसम तमाम आए-गए,

    दिल में लेकिन खजां का आलम है.

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