mera desh
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बिछड़ के तुमसे,
हमारा अजीब हाल रहा,
तुम्हारे बाद भी जिंदा हैं,
ये कमाल रहा.
सज़ा कुबूल है लेकिन,
खता हुई क्या है ?
हमारे लब पे हमेशा,
ही ये सवाल रहा.
ये ज़िन्दगी का सफ़र,
यूँ तो चल रहा है मगर,
तुम्हारा साथ नहीं है,
यही मलाल रहा.
फ़साना मैंने मोहब्बत का,
है लिखा लेकिन,
तुम्हारा नाम न आये,
मुझे ख़्याल रहा.
मिले थे जब मुझे ,
और जब जुदा तुम हुए,
वो लम्हा याद मुझे,
“राज”सालों – साल रहा.
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