Menu
blogid : 8696 postid : 242

यही अंजाम होना था.

mera desh
mera desh
  • 55 Posts
  • 161 Comments

lk_advani
हम गलती करें भूल जाएँ,अत्याचार करें भूल जाएँ,यह संभव है.जिसके प्रति करें वह भूल जाये,यह भी संभव है,लेकिन इस सृष्टि का निर्माता नहीं भूलता,यह एक बार फिर साबित हो गया.लेकिन इस पर चर्चा की जाये उससे पहले शिष्टाचार,परम्परा,संस्कृति की बात हो जाये.
हालाँकि नयी पीढ़ी में हद दर्जे की खुदगर्जी देखी जा रही है.अपने बड़ों का मान-सम्मान और देख-भाल करना नयी पीढ़ी के लिए कठिन कार्य है,लेकिन भाजपा जैसी भारतीय संस्कृति का जाप करने वाली और संघ के बताये मार्ग का अनुसरण करने वाले दल से ऐसी आशा नहीं थी.वरिष्ट नेता लाल कृष्ण आडवाणी के साथ पार्टी में जो कुछ हुआ और हो रहा है वह निंदनीय है.यहाँ कहा जा सकता है कि राजनीति में नाते-रिश्तेदारी कोई महत्त्व नहीं रखती,सत्ता की प्राप्ति के लिए कुछ भी करना जायज है.लक्ष्य को हासिल करने में शिष्टाचार को रूकावट बनने नहीं दिया जा सकता.इतिहास गवाह है कि जब देश में राजतन्त्र था,तो गद्दी के लिए पुत्र अपने पिता तक की जान लेने से परहेज नहीं करता था.आज इतिहास खुद को दोहरा रहा है.गद्दी के लिए हम आज उनको भी अपमानित करने को तैयार हैं जो कभी हमारे लिए बड़े-बुजुर्ग का स्थान रखते थे.जो कभी हमारे संकट में ढाल बने थे.जी हाँ ,यही आडवाणी जी हैं जिन्होंने नरेन्द्र मोदी को गुजरात दंगे के समय सत्ता से बेदखल करने की कवायद का विरोध किया था.यह आडवाणी जी का वरदहस्त ही था की मोदी को अभयदान मिल गया आज वही मोदी हैं और वही गोवा,आज मोदी की वजह से लाल कृष्ण आडवाणी खुद को उपेक्षित,आहत,अपमानित महसूस कर रहे हैं.सचमुच ऐसा अपमान,ऐसी उपेक्षा की अपेक्षा किसी ने नहीं की होगी.कल जिनके प्रधानमंत्री बनने की बारी थी,जो प्राइम मिनिस्टर इन वेटिंग कहलाते थे.आज उनको पूछने वाला कोई नहीं है.आखिर ऐसा क्यों हुआ?
आडवाणी जी की गलती
आज आडवानी जिस स्थिति में हैं,उसके लिए वह खुद जिम्मेदार हैं.कहा गया है कि ज़ालिम(अत्याचारी )का साथ देना,ज़ुल्म (अत्याचार)करने के बराबर है.मोदी ने गुजरात में जो कुछ किया,न उसे इतिहास भूलेगा और न ऊपर वाला.आज गुजरात के विकास की चाहे कितनी भी झूटी और सच्ची कहानी कही जाये,लेकिन वह मोदी के पाप को कम नहीं कर सकता.ऐसे वक़्त में जब अटल बिहारी बाजपेयी ,मोदी को राजधर्म पालन का पाठ पढ़ा रहे थे और राजधर्म पालन में असफल रहने पर मोदी को बाहर का रास्ता दिखाने की सोच रहे थे,आडवाणी जी ने मोदी का बचाव किया.उनके लिए ढाल बन गए.उन्होंने ज़ालिम का साथ दिया,अर्थात ज़ुल्म को सही ठहराया.उसी वक़्त ऊपर वाले ने उनका आज का अंजाम लिख दिया था.आज अपमान और उपेक्षा पर आडवाणी तिलमिला रहे हैं,मोदी का समर्थन करते समय उन्होंने तनिक भी नहीं सोचा कि जिनका घर मोदी की अक्षमता के कारण टूट गया है,जो अपमानित और बेघर-बार हो गए हैं,उनको न्याय दिलवाने की ज़रूरत है.
वह तो भूल गए लेकिन इस सृष्टि का निर्माता अपनी अनुपम रचना (मनुष्य )के क्रूर विनाश को नहीं भूला.ज़ुल्म करने वाले का अंत होता है,लेकिन उससे पहले उसे मनमानी करने की छूट मिलती है,वह 30 और 40 साल शासन करता है,फिर अपनी ही प्रजा के हाथों गलियों में दौड़ा-दौड़कर मार दिया जाता है,या ख़ुदकुशी करने पर मजबूर हो जाता है,या अपने ही बनाये हुए फांसी के फंदे पर लटका दिया जाता है,वह भी ऐसे वक़्त में जब उसे विश्वास हो जाता है कि अब कोई उसका मुकाबला करने वाला नहीं.यह प्रकृति का नियम है,इसे हम आप कोई नहीं बदल सकता.आज आडवाणी जी की बारी है.उनके लिए इससे बड़ी सजा क्या होगी कि जीते जी,उनको उनके ही दल ने बाहर का रास्ता दिखा दिया.उस पार्टी से जिसकी बुनियाद उनके कंधे पर रखी गई और जिसमें वह आधार स्तम्भ की तरह थे.आज उनकी हैसियत जीरो है.आज हालत यह है कि “आप को रहना है तो रहो,वरना रास्ता नापो”.
आडवाणी जी के पाप
आडवाणी जी के पापों की लिस्ट यहीं ख़त्म नहीं होती.आडवाणी ने देश में हमेश सांप्रदायिक शक्तियों को बढ़ावा दिया.उनकी रथ यात्रा ने देश में जो माहौल बनाया उसका अंजाम देश को बाबरी मस्जिद की शहादत के बाद हुए दंगों के रूप में भुगतना पड़ा.जिसमें देश भर में भारी संख्या में नरसंहार हुआ.देश का वातावरण विषैला बनाने में आडवाणी का बहुत बड़ा हाथ था. उन्होंने सत्ता प्राप्त करने के लिए धर्म को इस्तेमाल किया.मुस्लिम विरोध को अपना उद्देश्य बनाया और अंत में मोदी का पक्ष लेकर आडवाणी ने अपना अंजाम तय कर लिया.
धर्म की राजनीति
आडवाणी जी के साथ जो हुआ वह धर्म की राजनीति करने वाले हर राजनेता का हुआ है.कभी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे भाजपा नेता कल्याण सिंह आज कहाँ हैं.उनकी हैसियत क्या है,किसी से छुपा नहीं है.बाबरी मस्जिद मामले में राजधर्म का पालन न करने का उनको यह पुरस्कार मिला कि आज वह अपनी पहचान के लिए तरस रहे हैं.
स्पष्ट है कि आप को जो जिम्मेदारी दी गई है अगर आप ने उसे पूरा नहीं किया ,न्याय को छोड़ कर अन्याय का मार्ग अपनाया या अन्याय के पक्षधर बने तो आप की पकड़ होगी,आप रुसवा,अपमानित होंगे,कहीं और नहीं इसी दुनिया में.आडवाणी जी हमारे लिए उदहारण हैं.अंत में यह भी विचारणीय है कि मोदी का साथ देकर आज आडवाणी की जो दुर्दशा है ,मोदी को साथ लेकर कल वही भाजपा का भी अंजाम न हो.

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply