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पवन की वेग से जनता पर चढ़ रही है रेल.

mera desh
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rel mantri-Pawan Kumar Bansalअभी हाल में ही रेलमंत्री ने रेल टिकट में भरी इजाफा किया था और जनता अभी किसी तरह रेल किराये की बढ़ोत्तरी को पचाने की कोशिश कर रही थी,कि रेल मंत्री पवन कुमार बंसल ने एक बार फिर जनता पर रेल का भारी चक्का चढ़ा दिया है.
आज संसद में रेल बजट पेश करते हुए रेल मंत्री ने यात्री किराये में फिर बिना कुछ कहे भारी बढ़ोत्तरी कर दिया.जिस तरह रेल मंत्री ने निर्ममता से रेल किराया बढाया है ,उससे उस कसाई की याद आती है,जो मिमियाती हुई बकरी को पटक कर उसका गला रेत देता है.उसे सिर्फ अपने धंधे और अपनी आमदनी से मतलब होता है.उसे इस बात की परवाह तनिक भी नहीं होती कि बकरी को दर्द हो रहा.उसका जीवन भी मूल्यवान है.उसे तो जल्दी होती है कि कैसे और कितना जल्दी वह उसकी खाल उतार ले और उसे हलाल करके उसके टुकड़े-टुकड़े बेच कर अपनी जेब भर ले.
इससे पहले भी रेल मंत्री ने जनता की आँख में धूल झोंक कर रेल किराये में बड़ा इजाफा किया.रेल मंत्री ने पिछले रेल किराये में इजाफा को बहुत थोडा करके पेश किया.लेकिन जब जनता टिकट खिड़की पर टिकट लेने पहुंची तो अपने आप को ठगा सा महसूस किया.राउंड फिगर के नाम पर रेल यात्रियों से भारी वसूली का जाल बिछाया गया था.मिसाल के तौर पर यदि टिकट का मूल्य 12 है यात्री को उसकी कीमत 15 रूपये चुकानी थी.रेल टिकट में इजाफा का यह तरीका जनता की जेब पर बहुत भारी था. आम जनता दर्द से कराही तो पर यह दर्द किसी को दिखा नहीं.
स्कूल में जब टीचर बच्चे को एक स्टिक लगता है और बच्चा उस चोट पर रोता नहीं , बेहयाई से हंस पड़ता है तो टीचर को और गुस्सा आता है और वह उसी पर दो-चार स्टिक और जड़ देता है.यही हुआ इस बार रेल किराये को लेकर.जब रेल मंत्री ने देखा कि जनता ने उनकी चालाकी भारी मार का कोई नोटिस नहीं लिया तो उन्होंने चालाकी के साथ एक और वार कर दिया.निश्चित रूप से उन्हें इस बात का ज्ञान होगा कि उनके निर्मम क़दम से भारत की ग़रीब जनता पर बेहद बुरा असर पड़ेगा, लेकिन वह जनता कराह नहीं रही ,इसलिए उस पर और भार लादने में कोई हर्ज़ नहीं.
विशेषज्ञों कि माने तो रेल बजट 2013 में रेल किराया में कोई सीधी वृद्धि नहीं कि गई है,लेकिन जो बजट पेश किया गया है,उससे रेल यात्रियों पर बोझ पड़ना तय है.रेल मंत्री बंसल को रेल किराए में वृद्धि जरूरी लगती है। सवाल यह है कि अगर रेल किराये में वृद्धि इतनी ही ज़रूरी थी तो हाल में ही हुई किराया वृद्धि में ही उन्होंने उसे क्यों नहीं शामिल कर लिया.क्या जनता को किस्तों में झटका देने से जनता को कष्ट कम होगा.नहीं एक झटके में हलाक होने वाले जानवर से ज्यादा तकलीफ तडपा-तडपा कर जबह किये गए जानवर को होती है.
रेल मंत्री का यह तर्क कि यात्रियों को यदि सुविधाएं मिलें तो उन्हें किराए में वृद्धि होने से कोई समस्या नहीं है ,उनके संवेदनहीनता का नमूना है.वह यात्रियों के उस वर्ग कि बात कर रहे हैं,जिसकी सेहत बहुत अच्छी है.समाज के दबे-कुचले उस वर्ग की बात नहीं कर रहे जिसे दो वक़्त की रोटी के लिए भी काफी जूझना पड़ता है.
रेलमंत्री ने वैसे तो रेल यात्री किराये में बढ़ोतरी की बात नहीं की लेकिन प्रस्तुत बजट से साफ है कि ट्रेनों में आरक्षण अब महंगा होगा। टिकट कैंसिल कराने पर चार्ज पहले से ज्यादा लिया जाएगा.सुपरफास्ट चार्ज के साथ-साथ , तत्काल टिकट भी अब पहले से महंगा होगा. इस तरह से सरचार्ज के नाम पर रेल यात्रियों से पैसा वसूला जाएगा।इसी में माल भाड़े पर 5 फीसदी की बढ़ोत्तरी भी की गई है,जिसका असर भी जनता पर ही पड़ेगा.
कुल मिलकर रेल बजट आम जनता के लिए सुखद नहीं साबित होने वाला है.अब देखने की बात यह है कि दिनों-दिन बढ़ रही महंगाई से त्रस्त जनता,सरकार और उसके सहयोगी दलों को आनेवाले लोकसभा चुनाव में क्या तोहफा देती है.

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