mera desh
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हवा की ताल पर ठुमका दिखाएंगे,
जो सींचेंगे तो पौधे मुस्कराएंगे .
बड़े होकर तो बच्चे छोड़ जाते हैं ,
मगर आँगन के पौधे काम आयेंगे .
सुमन हैं हम मिटे भी तो नहीं ग़म है,
हवा में बन के खुशबू फ़ैल जायेंगे.
खुदा का क्या वहीं मिल जायेगा हमको,
अक़ीदत से जहाँ पर सर झुकायेंगे .
मेरे बस में नहीं तुमको भुलाना है ,
तुम्हें भूले तो खुद को भूल जायेंगे.
— jalaluddin khan
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