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मैं चला था फूल चुनने,
हुआ संगो-खार हासिल.
तेरी दोस्ती में मुझको,
हुआ इंतज़ार हासिल.
वही खुशनसीब होंगे,
जो तेरे करीब होंगे,
उन्हें गम नहीं खजां का,
उन्हें है बहार हासिल.
तेरी बेरुखी का अक्सर,
हुआ क्या असर है दिल पर ,
तुझे क्या खबर है यारा,
तुझे तो है प्यार हासिल.
तेरे दर से उठ गया जो,
भला जाये अब कहाँ वो,
उसे क्या सुकूँ मिलेगा,
उसे क्या करार हासिल.
तेरा साथ गर नहीं है,
मुझे फिर भी ये ख़ुशी है,
मैंने दोस्ती निभाया ,
हुई गर है हार हासिल.
कोई वादा ना निभाओ,
तुम्हें हक है भूल जाओ,
मैं तो सिर्फ हूँ तुम्हारा,
है तुम्हें फरार हासिल.
मुझे और गम नहीं है,
ज़रा सी खलिश यही है,
के मैं कर सका न यारा,
तेरा ऐतबार हासिल.
बस मेरी दुआ यही है,
तू हो शाद गर कहीं है,
तेरे नाम सारी खुशियाँ,
हो मुझे ग़ुबार हासिल.
तेरी दोस्ती में मुझको,
हुआ इंतज़ार हासिल.
मैं चला था फूल चुनने,
हुआ संगो-खार हासिल.
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