mera desh
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माँ,
नौ महीने तूने,
अपने पेट में रखा मुझे.
अपने खून के
एक एक बूँद से
सींचा मुझे.
मेरे लिए तूने,
अपने सुख का,
त्याग किया.
रात की नींद,
दिन का आराम,
सब कुछ,
भुला दिया.
मुझे
उंगली पकड़ कर ,
तूने चलना सिखाया,
अपनी गोद में,
छुपाकर मुझे,
हर धूप से बचाया.
तू मेरी पहली गुरु थी,
तू ही मेरी,
पहली पाठशाला.
जिसने मेरे,
अज्ञानी मन का,
अंधकार मिटा कर,
भर दिया उजाला.
तुझसे मिले ज्ञान ने,
पग-पग पर मेरे,
पथ को ,
बनाया आसान,
माँ तेरे बिना,
जीवन में कुछ नहीं,
सच कहूँ तो,
तू जिसके पास है,
इस संसार में,
वही है धनवान.
वही है धनवान.
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