mera desh
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अँधेरी रात में जलता चराग रहने दे,
मेरे वजूद पे माजी का दाग़ रहने दे.
मैं चाहता नहीं दुनिया मुझे भुलाये अभी,
मेरे कलाम में जज़्बों की आग रहने दे.
बहुत हुआ चलो रोको ये कीमतों का उरूज,
अभी ग़रीब की रोटी ओ साग रहने दे.
अगर है पालना तो अम्न का परिंदा रख,
जो डस ले अम्न को हरगिज़ वो नाग रहने दे.
खुदा के वास्ते नफरत की आंधियाँ न चला,
मेरे वतन को मोहब्बत का बाग़ रहने दे.
कोई भी रंग मोहब्बत का हो तो अच्छा है,
लहू से खेलना है गर तो फाग रहने दे.
यह नफरतों की ज़बाँ बाँट देगी गुलशन को,
वतन से प्यार है गर फिर यह राग रहने दे.
वो मीठा बोल के हमको फरेब देता है,
खरा कहे तो,मुंडेरों पे काग रहने दे.
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