देश में रोज़गार के अवसर बेहद कम हैं.इसलिए जब किसी विभाग में रिक्ति आती है तो उम्मीदवारों की लम्बी कतार लग जाती है.वर्तमान में सबसे ज्यादा रिक्ति शिक्षा,बैंकिंग और रेलवे सेक्टर में है.पिछले वर्ष उत्तर प्रदेश में बसपा सरकार ने प्राइमरी शिक्षकों के 72 हज़ार से अधिक रिक्त पदों पर भर्ती के लिए एन.सी.टी.ई.के निर्देश पर टी.ई.टी.(शिक्षक पात्रता परीक्षा ) का आयोजन किया.परीक्षा से ठीक चार-पाँच दिन पहले यह आदेश जारी कर दिया गया कि इसी परीक्षा में प्राप्त अंकों के आधार पर ही मेरिट बनाकर शिक्षकों की नियुक्ति की जाएगी. सरकार के इस आदेश से उस समय ही तमाम उम्मीदवारों को इस चयन प्रक्रिया में धांधली की बू आने लगी थी.यह आशंका अंततः सत्य साबित हुयी.टी.ई.टी.इम्तहान में जमकर भ्रष्टाचार हुआ.माध्यमिक शिक्षा परिषद् के निदेशक तक इस मामले में गिरफ्तार हुए हैं.उत्तर प्रदेश टी.ई.टी.परीक्षा में ये जो धाँधली हुई है वह आज किसी से छुपी नहीं है.इसके बाद भी कुछ लोग इसी परीक्षा के आधार पर नियुक्ति पाना चाहते हैं,जो उचित नहीं है.तो फिर रास्ता क्या है?क्या इस परीक्षा को रद्द कर देना चाहिए और नये सिरे से फिर टी.ई.टी. परीक्षा का आयोजन होना चाहिए?इस बारे में मुख्य सचिव जावेद उस्मानी साहब ने एक मीटिंग के बाद सरकार के समक्ष जो विकल्प रखा है,यदि सरकार उसे मानती है तो टी.ई.टी. में प्राप्त अंकों के आधार पर शिक्षक चयन नहीं होगा और पहले की तरह हाईस्कूल, इंटरमीडिएट व स्नातक स्तर पर प्राप्त किये गए अंकों के प्रतिशत के आधार पर चयन किया जायेगा.निश्चित रूप से इस बारे में सरकार का फ़ैसला अंतिम होगा.लेकिन अंतिम निर्णय लेने से पहले वर्तमान सरकार को कुछ महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर ध्यान देने की ज़रूरत है,यदि ऐसा नहीं किया गया तो जिस भ्रष्टाचार की वजह से टी.ई.टी. को चयन का आधार नहीं बनाया गया है,हाईस्कूल, इंटरमीडिएट व स्नातक स्तर पर प्राप्त किये गए अंकों के प्रतिशत को आधार बनाकर की गयी भर्ती में वही भ्रष्टाचार सर चढ़ कर बोलेगा.क्योंकि इसी चयन प्रक्रिया के कारण फर्जी मार्कशीट वाले आज अध्यापक बने हुए हैं और असली मार्कशीट वाले दर-दर की ठोकर खा रहे हैं.अतः उत्तर प्रदेश की सरकार को गंभीरता से निम्न तथ्यों पर विचार करने की आवश्यकता है-
इस टी.ई.टी. परीक्षा को रद्द नहीं किया जाना चाहिए.अलबत्ता इस के परिणाम के आधार पर कोई नियुक्ति ना की जाए.
कुछ लोग यह चाहते हैं की नियुक्ति का आधार उनके हाई स्कूल ,इंटर,बी ए. बी.एड में प्राप्त अंकों को बनाया जाए.लेकिन नियुक्ति का यह आधार भी विसंगति से भरा है.आज तक कोई परीक्षा सौ फीसदी ना तो नक़लविहीन हुई है और ना ही साफ -सुथरी.आए दिन होने वाले परीक्षाओं के पेपर आउट होना आम हो गया है.फिर देश में विभिन्न परीक्षा बोर्ड हैं,जिनके परीक्षा लेने का ढंग अलग -अलग है और अंक प्रदान करने का अपना अलग -अलग पैमाना है.कोई बोर्ड कम अंक प्रदान करने की नीति पर चलते हैं तो कुछ छात्रों को अधिक से अधिक अंक प्रदान करने को प्राथमिकता देते हैं.स्पष्ट है की देश के सारे बोर्डों के छात्रों के प्राप्त अंकों के आधार पर मेरिट बनाकर कोई भर्ती करना,कम अंक प्रदान करने वाले बोर्ड के छात्रों के साथ अन्याय है.
अंकों अर्थात मेरिट के आधार पर भर्ती करने का सबसे बड़ा नकारात्मक पक्ष यह है कि फर्जी मार्कशीट बनवाकर हजारों लोग अध्यापक बन गए और आज भी पढ़ा रहे हैं.मेरिट का लाभ नक़ल से अच्छा अंक पाने वालों ने भी खूब उठाया है.विचारणीय बात है कि विशिष्ट बी.टी.सी के तहत होने वाली अध्यापक भर्ती में इतनी बड़ी तादाद में हाई स्कूल से ले कर बी.एड तक 70 से 90 प्रतिशत पाने वाले अभ्यर्थी कहाँ से आ जाते हैं.फिर सोचने कि बात यह भी है कि यह अद्भुत प्रतिभा के धनी अपनी योग्यता के अनुसार किसी और क्षेत्र में क्यों नहीं जाते.क्यों ये फर्स्ट डिविजनर प्राईमरी अध्यापक बनने के लिए तैयार हो जाते हैं.इतनी बड़ी तादाद में लोग सेवा भाव से शिक्षा के क्षेत्र में आयें हों ऐसा सोचना मुनासिब नहीं होगा.कुल मिला कर मेरिट के आधार पर अध्यापकों की भर्ती उचित और न्यायपूर्ण साबित नहीं होगी.
अतः मेरा मानना है की टी.ई.टी. उत्तीर्ण अभ्यर्थियों में से उनको प्राथमिकता के आधार पर नियुक्ति प्रदान की जाए,जिनकी बी.एड की डिग्री सबसे पुरानी है.अर्थात डिग्री प्राप्त करने के वर्ष के वरिष्ठता क्रम को अध्यापक भर्ती का आधार बना दिया जाए.जैसा कि पड़ोसी राज्य उत्तराखंड में किया गया है.
इस नीति से यह लाभ होगा की बगैर टी.ई.टी. रद्द किये ही टी.ई.टी.में धाँधली करके अधिक नंबर हासिल करने वालों के मंसूबों पर पानी फिर जाएगा.
हाई स्कूल ,इंटर,बी.ए.तथा बी.एड.में प्राप्त अंकों के आधार पर मेरिट बनाकर भर्ती नहीं करने से फर्जी अंक पत्र,संस्कृत संस्थानों से प्राप्त प्रमाणपत्र धारकों,अपने ही मार्कशीट के कम अंकों में हेर – फेर करके नंबर बढ़ाने वालों और किसी नौकरी कर रहे व्यक्ति के मार्कशीट पर नौकरी के लिए आवेदन करनेवालों के मंसूबों पर भी अंकुश लग जायेगा और ऐसे अपात्रों के चयन से बाहर होने के कारण कम अंक वाले पात्र बी.एड.धारकों को न्याय मिल सकेगा.
इस भर्ती में सरकार उन टी.ई.टी. उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को भी प्राथमिकता दे सकती है,जिनकी उम्र ख़त्म हो रही है और जो अब अगली नियुक्ति के लिए आयु सीमा को पार कर जाएँगे.उनके लिए यह अंतिम अवसर है.अतः उन्हें प्राथमिकता मिलनी चाहिए.कम उम्र के अभ्यर्थी अभी इन्तेज़ार कर सकते हैं.उनके लिये अभी अवसर है.वैसे भी टी.ई.टी. की डिग्री पाँच साल के लिए वैद्य है.लेकिन नियुक्ति प्राप्त करने की निर्धारित आयु सीमा के अंतिम छोर पर खड़े अभ्यर्थी के लिए तो इसकी वैद्यता मात्रा इसी साल है,इसके बाद नहीं.इसलिए उनके अंधकारपूर्ण भविष्य को देखते हुए,उन्हें प्राथमिकता दिया जा सकता है.
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