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बेरोजगारी भत्ता और लूट तंत्र

mera desh
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उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार के बनते ही मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पार्टी घोषणा पत्र के अनुसार प्रदेश के बेरोजगारों को भत्ता देने का ऐलान क्या किया पूरा प्रदेश भत्ता हासिल करने के लिए उठ खड़ा हुआ है.प्रदेश के सेवायोजन कार्यालयों पर पंजीकरण के लिए लगी कतार से ऐसा ज़ाहिर होता है कि कोई भी बेरोज़गारी भत्ता प्राप्त करने में पीछे नहीं रहेगा.स्थिति यह है कि बेरोजगार दिन दिन भर लाइन में खड़े होकर अपना पंजीकरण करा रहे है.इस चक्कर में कही भीड़ के दबाव में बेरोजगारों के बेहोश होने और कही पुलिस की लाठी खाने की ख़बरें लगातार आ रहीं हैं.चुनाव नतीजों की घोषणा के पहले से ही बेरोजगारों की फ़ौज सेवायोजन कार्यालय पर देखी जा रही थी.नतीजा आने के बाद तो जैसे बेरोजगार पंजीकरण के लिए सेवायोजन कार्यालय पर सैलाब की तरह उमड़ पड़े और तब से शुरू हुई यह भीड़ आज की तारीख तक कम होने में नहीं आ रही है.ज़ाहिर है ऐसे में यह प्रश्न उठाना स्वाभाविक है कि यह कैसे बेरोजगार हैं,जिन्हें आज तक रोज़गार की ज़रूरत नहीं थी और जिन्हें कभी सेवायोजन कार्यालय की तरफ देखने की फुर्सत नहीं मिली.प्रश्न यह भी है कि क्या इतने बड़े तादाद में प्रदेश के लोग हाथ पर हाथ धरे बेरोज़गारी भत्ता के लिए सालों से बेकार बैठे हुए थे?
सेवायोजन कार्यालय पर बेरोजगारों की भीड़ बढने की सबसे बड़ी वजह बेरोज़गारी भत्ता पाने की न्यूनतम शैक्षिक योग्यता हाई स्कूल किया जाना और अधिकतम आयु सीमा निर्धारित न किया जाना है.यह पता चलने पर कि हाई स्कूल पास सभी 35 वर्षीय और उससे अधिक आयु के व्यक्ति को सरकार बेरोज़गारी भत्ता देगी,उम्रदराज़ हाई स्कूल योग्यताधारियों की आशाएं और उम्मीदें बढ़ गयीं.इसी उम्मीद का नतीजा है लखनऊ के 74 वर्षीय साजिद अली का अपना पंजीकरण करवाना.निश्चित रूप से भीड़ में साजिद अली अकेले बुजुर्गवार नहीं होंगे जिन्हों ने बेरोज़गारी भत्ता पाने का सपना देखना शुरू कर दिया है.चूँकि सरकार की इस बारे में अभी तक कोई तय और स्पष्ट नीति नहीं है.इसलिए सपना हर कोई देख सकता है.लेकिन सपना टूटना बेहद कष्टदायक होता है,यह सभी जानते हैं.अब साजिद अली का क्या होगा,यह तो पता नहीं,लेकिन अच्छा होता यदि उन्होंने सपना देखा ही न होता.
साजिद अली तो तस्वीर है उस बेबस,लाचार आम इन्सान का जो मुफलिसी में पैदा होता है ,उसी में जीता है और उसी में मर भी जाता है.पर तस्वीर का दूसरा रुख भी है.जो चालाक, धूर्त,मक्कार,शातिर,भ्रष्टाचारियों से भरा पड़ा है.यह वह लोग हैं जो ग़रीबों के लिए आयी किसी भी योजना का धन खा जाना अपना जन्मसिद्ध अधिकार समझते हैं और यह अपने फन के माहिर होते हैं.ऐसी किसी भी योजना के आने की भनक पाते ही यह लोग सक्रिय हो जाते हैं.तो फिर बेरोज़गारी भत्ता में सरकार के खजाने से जारी होने वाली भारी धनराशि पर ऐसे लोगों की नज़र अभी से टिक गयी है.सेवायोजन कार्यालयों पर जो भीड़ है,वह इस बात की तरफ ही संकेत कर रही है कि सब कुछ ठीक नहीं है.
यह योजना उनके लिए है,जो 35 कि आयु सीमा पार कर चुके हैं और कहीं किसी तरह के रोज़गार से नहीं जुड़े हैं या किसी प्राइवेट संस्था से जुड़े हैं तो उन्हें नाममात्र का मेहनताना मिलता है.पर जो जानकारी मिल रही है,उससे लगता है कि सरकार की इस योजना के धन का बंदरबांट करने के लिए बड़ी संख्या में अपात्र सेवायोजन कार्यालय में अपना पंजीकरण करवा रहे हैं.प्राप्त जानकारी के अनुसार संपन्न और धनी परिवार के बिज़नेस, कारोबार,ठेकेदारी, वकालत से जुड़े लोग एक्स्ट्रा आमदनी के लालच में भत्ता लेने वालों की कतार में खड़े हैं.आखिर ये कैसे बेरोजगार हैं जिन्हें आज से पहले कभी सेवायोजन कार्यालय में अपना पंजीकरण करवाने की आवश्यकता महसूस नहीं हुई.ज़ाहिर है यह उन लोगों की भीड़ है जो मौक़ा परस्त होते है और जिनका यह मानना होता है कि “राम नाम की लूट है लूट सके तो लूट,”ऐसे लोग सही और ग़लत के बारे में सोचना मूर्खता समझते हैं.यही नहीं ऐसे लोग पात्र लोगों को उनके अधिकार से वंचित कर देते हैं स्वयं अपात्र होते हुए भी गरीबों के लिए आयी योजना का लाभ उठा लेते हैं.ऐसे लोगों की भीड़ हर सरकारी योजना के उद्देश्य की हत्या कर देती है.सरकार को ऐसे लोगो से सचेत रहना चाहिए और ऐसे लोगों की निशानदेही करने की व्यवस्था करनी चाहिए.इसके साथ सरकारी योजना को दीमक की तरह चाटने में ऐसे लोगों की मदद करने वाले सरकारी कर्मचारी,अधिकारियों की भी पहचान करने और उन्हें सख्त सजा देने की ज़रुरत है.
मिल रही खबरों के मुताबिक सरकार बेरोज़गारी भत्ता देने के बदले में बेरोजगारों को काम देगी.यह बड़ी अच्छी सोच है.बहुत दिनों से ऐसी एक योजना की आवश्यकता महसूस हो रही थी.पल्स पोलियो,जनगणना,मतदाता सूची सुधार,चुनावी ड्यूटी और तमाम वह काम बेरोजगारों से लिया जा सकता है,जो अध्यापकों से लिया जाता है.इससे बेरोजगारों को काम मिलेगा और बच्चों की पढाई भी बाधित नहीं होगी.
बहरहाल बेरोज़गारी भत्ता सपा सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती है,देखना है सरकार किस तरह लूट तंत्र से इस योजना को बचाती है.

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