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पहचान किसे कहते हैं.(ग़ज़ल)

mera desh
mera desh
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एक उलझन है के इन्सान किसे कहते हैं,
हम हैं इन्सान तो हैवान किसे कहते हैं.
लाश के ढेर पे करते हैं सयासत की दुकान,
हमसे मत पूछिये शैतान किसे कहते हैं.
जिसने एहसान किया और न माना है कभी,
वो क्या बतलायेगा एहसान किसे कहते है.
हम ग़रीबों से ज़माने ने है पूछा अक्सर,
जान क्या चीज़ है,पहचान किसे कहते हैं.
जिसको फुर्सत नहीं अपने अजीजों के लिए,
उससे मत पूछिये मेहमान किसे कहते हैं.
जब से देखा है ज़माने ने सुनामी का कहर,
सबको मालूम है तूफान किसे कहते हैं.
दफ्तरों,थानों व तहसील,कचहरी जाकर,
‘राज’ ने देखा है ईमान किसे कहते हैं.

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