Menu
blogid : 8696 postid : 26

राजनीति में पदार्पण का अधिकार.

mera desh
mera desh
  • 55 Posts
  • 161 Comments

विषय : चुनाव में प्रासंगिक और ज्वलंत मुद्दे

इमाम बुखारी ने सपा का समर्थन किया तो आफत आ गई.हर तरफ से यह आवाज़ आने लगी की उन्हें राजनीति से दूर रहना चाहिए.इमाम बुखारी ने सपा का समर्थन करके सही किया या ग़लत,यहाँ इस पर बात करने की कोई मंशा नहीं है.यहाँ विचारणीय प्रश्न यह है क़ी इमाम बुखारी को राजनीति में दखल देना चाहिए या नहीं.भारत एक लोकतान्त्रिक देश है और ऐसी व्यवस्था में प्रत्येक नागरिक को वोट देने का,अपनी पसंद का उम्मीदवार चुनने का हक है.यह हक सीमित नहीं है.वह वोट देने के अलावा चुनाव लड़ भी सकता है.वह खुद पार्टी बना सकता है या किसी पार्टी में शामिल हो सकता है.संविधान में कहीं यह व्यवस्था नहीं की एक इमाम,एक पुजारी या किसी धर्म का धार्मिक मार्गदर्शक राजनीति में क़दम नहीं रख सकता.लोकतंत्र में किसी खास या आम आदमी से यह कहना की तुम्हारा राजनीति से लेना-देना नहीं है.इसलिए तुम इस क्षेत्र में दखलअंदाजी नहीं कर सकते जो लोग ऐसा कह रहे हैं,क्या यह माना जाये की उन्होंने राजनीति को अपनी बपौती समझ लिया है और किसी गैरराजनीतिक व्यक्ति के राजनीति में आने से उन्हें यह लगता है की वह उनके आधिकार क्षेत्र में अतिक्रमण कर रहा है या यूँ कहा जाए की उन्हें अपने निर्विघ्न खाने- खेलने में खलल पड़ने का अंदेशा हो जाता है.संभवतः यही कारण है कि इमाम बुखारी के इस सयासी क़दम को कुछ लोग हज़म नहीं कर पा रहे हैं,जो स्वस्थ लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत नहीं है.
आश्चर्य की बात है की सपा के समर्थन में आये बुखारी के विरुद्ध सबसे मुखर स्वर सपा के पुराने नेता आज़म खान का नज़र आया.जिन्होंने बुखारी को राजनीति से दूर रहने की सलाह दी है.यदि बुखारी राजनीति में उतारते हैं तो क्या करेंगे, इस प्रश्न का उत्तर भविष्य के गर्भ में है.लेकिन आज़म खान ने राजनीति में क्या किया है,यह शायद ही कोई बता पाए.वह सिर्फ सपा के मुस्लिम चेहरा के तौर पर जाने जाते हैं,हालाँकि मुस्लिम वर्ग की समस्याओं के प्रति उनकी सक्रियता कहीं नज़र नहीं आती है.बुखारी का सपा खेमा में पदार्पण,उनके मुस्लिम चेहरा के एकछत्र राज के लिए चुनौती है.वस्तुतः इसी की आहट से आज़म खान के कान खड़े हो गए और ज़बान बिना सोचे-समझे चलने लगी है.कोई उन्हें बताये की हमारे देश में लोकतंत्र है,इसलिए उन्हें यह हक नहीं की वह तय करें कि किसे राजनीति में आना चाहिए.किसे नहीं आना चाहिए.

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply