mera desh
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मंदिरों-मस्जिद बनाते रहिये,
और इन्सां को रुलाते रहिये.
एक घर चाहे बने या न बने,
बस्तियां रोज़ जलाते रहिये.
फूल उल्फत के खिला सकते नहीं,
खार नफरत के उगाते रहिये.
स्वर्ग या नर्क ग़रीबों के लिए,
आप बस मौज उड़ाते रहिये.
जाँच आयोग बरी कर देगा,
हर ग़लत काम कराते रहिये.
हाथ में माला लिए फिरिये मगर,
मुंह से अपशब्द उड़ाते रहिये.
तोड़ना आप ही को है भाई,
रोज़ कानून बनाते रहिये.
हक ग़रीबों का दबाकर “राज“,
न्याय का पाठ पढ़ाते रहिये.
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